मैं किस बात पर हँसती हूं ,मैं किस बात पर रो देती हूं मैं कब उदास हो जाती हूं ,मैं कब चहचहा उठती हूं मैं कब मौन जो जाती हूं , मैं कब कौन हो जाती हूं मैं कब क्रोध से भर जाती हूं, मैं कब करुणा हो जाती हूं मैं कब कमजोर और लाचार हूं जाती हूं और मैं कब सशक्त हो पलटवार करती हूं मां समझती है क्योंकि मां शक्ति है , भक्ति है , जीवन की अभिव्यक्ति है #नित्या