हम मुसाफ़िर ज़िंदगी के सफ़र में खुशियों को तलाशने अपनी बंदिशों के शहर से बाहर निकले, जाने बिना पता अपनी मंज़िल का हम लेकर गुमशुदा पहचान को अंजान रास्तों से कई बार गुज़रे, ज़िंदगी को पाने की तमन्ना लिए आँखों में मुसाफ़िर अपनी मंज़िल के हम कितने दीवाने निकले... अपनी राह बनाने निकले, हम कितने दीवाने निकले... #अपनीराह #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi