जो खत्म न हो वैसी लिखावट बन जाओ जो रंग न उतरे वैसी सजावट बन जाओ जो दगा दे जाएं वैसी ठेस बन जाओ जो मांग लूं खुदा से वो इबादत बन जाओ। वो रहम बन जाओ,वो मौहलत बन जाओ कोई अधूरा है हिस्सा वो टूटा किस्सा बन जाओ कोई दर्द से घिरे उससे दुआ कैसे मांगू टूटते तारे से भला ख्वाइश कैसे मांगू