काला अध्याय कुछ होता है, तो वो ही पलटा जा रहा है , पढ़ने -समझने को कुछ नहीं, जो पढ़ा वो सिमटा जा रहा है। गजब ये आज,कल लिखेगा, न जाने क्या चेहरा दिखेगा, शर्मिंदा होने के लिए, कुछ न होगा खोने के लिए। ©BANDHETIYA OFFICIAL #शर्मिंदा #Remember