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धुन्ध बहोत है मेरे शहर में, बस कदमों कि आहट सुनाई

धुन्ध बहोत है मेरे शहर में, बस कदमों कि आहट सुनाई देती है, कब कौनसा चेहरा सामने से निकल कर आयेगा, पता नही पड़ता.

©Niranjana Verma
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