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"नशा नजदीकियों का तो होता ही है; अलबत्ता दूरियों क

"नशा नजदीकियों का तो होता ही है; अलबत्ता दूरियों का भी होता है, जो जिस्म के चप्पे-चप्पे में तैरता रहता है। मसलन दूर के पहाड़ और अधिक नीले और नशीले जान पड़ते हैं।" - प्रभु जोशी ( कथाकार एवं चित्रकार )

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  #दूरियों_का_नशा