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बादल- *** उमड़-घुमड़ बादल छाये नभ आंचल, आए बरखा बा

बादल-
***
उमड़-घुमड़ बादल
छाये नभ आंचल,
आए बरखा बादल
सींचने धरती आंचल|

रिमझिम बरसी बरखा
कल कल पानी दौड़ा,
भीगी धरती हर्षा जीवन
तन मन हो संजीवन |

पंख फड़फड़ाए खग खग
हरियाली छाई पग पग,
मोर नाचा कोयल बोली
डोली बच्चों की टोली |

चला किसान चहका-चहका
टांक हल-झोला बीज का,
करने बुवाई सोना उगाने
दाने-दाने को धान बनाने |

सोंधी महक मस्त अंदाज
सजे हैं पेड़ पौधे हरे हैं ताज,
चाहे गांव हो शहर हो
है अलग बात, है अलग अंदाज |

उमड़-घुमड़ बादल
छाये नभ आंचल,
आए बरखा बादल 
सींचने धरती आंचल |
~गोपाल 'साहिल'
   













 #badal #glal #kavita #kaviprasad #yqbaba #yqdidi #poem
बादल-
***
उमड़-घुमड़ बादल
छाये नभ आंचल,
आए बरखा बादल
सींचने धरती आंचल|

रिमझिम बरसी बरखा
कल कल पानी दौड़ा,
भीगी धरती हर्षा जीवन
तन मन हो संजीवन |

पंख फड़फड़ाए खग खग
हरियाली छाई पग पग,
मोर नाचा कोयल बोली
डोली बच्चों की टोली |

चला किसान चहका-चहका
टांक हल-झोला बीज का,
करने बुवाई सोना उगाने
दाने-दाने को धान बनाने |

सोंधी महक मस्त अंदाज
सजे हैं पेड़ पौधे हरे हैं ताज,
चाहे गांव हो शहर हो
है अलग बात, है अलग अंदाज |

उमड़-घुमड़ बादल
छाये नभ आंचल,
आए बरखा बादल 
सींचने धरती आंचल |
~गोपाल 'साहिल'
   













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