तुम्हारी यह पवित्र निश्छल मुस्कान, मेरे सारे दर्द-ओ- गम को भुला,मुझे सुकून देती है। तुम्हारी प्यारी मुस्कान है सर्दियों की उजली धूप सी, जो मन को प्रफुल्लित कर देती है। तुम्हारी मनमोहक सी निश्चल मीठी मुस्कान, किसी भी निर्जीव में जान डाल सकती है। तेरी अनमोल मुस्कान बनाए रखने के लिए, हम अपनी जिंदगी भी कुर्बान कर सकते हैं। 🌝प्रतियोगिता-33 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"निश्छल मुस्कान "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I