टुकड़े दिल के हजारों... और... हजार बार... बार-बार हो रहे हैं, रुह चकनाचूर... बेजार हो रही है...! सांसें और नब्ज़, देखो ना... दोनों ही ठीक चल रही है! कैसे यकीन दिलाये... कि मर रहे हैं! किसको यकीन दिलाये... दम घुट रहा है! अब समझ नहीं आता यह क्या हो रहा है... समझ के भी क्या करें कि क्यों हो रहा है!— % & #बसयूँही Shree #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires #तुम्हारा_मन_मेरी_समझ