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एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे संयोग य

एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे
संयोग यह था कि यदा कदा लौंडिया भी ताड़ रहे थे
अचानक एक सज्जन कही से मेरे आगे आए
ठोकर लगने ही वाली थी कि वो जोर से चिल्लाए
बड़े बेवकूफ आदमी हो तुमको दिखाई नहीं देता
इस बूढ़े व्यक्ति का भारी आवाज सुनाई नही देता
तब तक आस पास के कुछ लौंडो आकर घेर लिया
क्या हुआ अंकल कह उनको अपनी गेल लिया
उनकी शह पाकर वो अंकल जी थोड़ा फूल गए
गलती तो उनकी ही थी पर मेरे  पल्ले झूल गए
दूध के दांत भी नही टूटे पर लड़की ताड़े जा रहे हो
बाइक चलाने का ढंग नहीं है फिर क्यों चला रहे हो
एक तो मुझे ठोक दिया ऊपर से आंख दिखा रहे हो
तमीज भी नही है क्या जो मुझे यूं घूरे जा रहे हो
उनके तीखे शब्द सुन उन लौंडो का दिमाग घूम गया
उनकी आंखों में मेरे शरीर का हर एक अंग जूम गया
मैने स्थिती को भापा और अपने स्वर को ढीला किया
संबोधन लगा बोला हे अंकल प्रभु ने कोई लीला किया
गलती मेरी ही थी मैंने आपको मोड़ से आते नही देखा
सम्मान सूचक कुछ और बातों को उनकी ओर फेंका
फिर जैसे तैसे उन अंकल को मै शीशे में उतार पाया
उन लौड़ों की पड़ने वाली मार से खुद को बचा लाया
बाद उसके कसम खाइ बाइक चलाते लड़की नही ताडूंगा
गर कोई मेरी तरह फसा मिला तो भीड़ का हिस्सा बन उसे नही मारूंगा
आज से हर औरत के मुख से ज्यादा उनके चरणों में मेरा ध्यान होगा
अपनी मां बहन बेटी सा उनके प्रति भी मेरा भान होगा
नारी का स्थान सर्वोपरि है उसकी एक अलग पहचान हैं
नारियों का सम्मान हैं तो ही समाज में हमारा सम्मान हैं
#अंकुर तिवारी 'अंजान'

©Ankur tiwari एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे
संयोग यह था कि यदा कदा लौंडिया भी ताड़ रहे थे
अचानक एक सज्जन कही से मेरे आगे आए
ठोकर लगने ही वाली थी कि वो जोर से चिल्लाए
बड़े बेवकूफ आदमी हो तुमको दिखाई नहीं देता
इस बूढ़े व्यक्ति का भारी आवाज सुनाई नही देता
तब तक आस पास के कुछ लौंडो आकर घेर लिया
क्या हुआ अंकल कह उनको अपनी गेल लिया
एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे
संयोग यह था कि यदा कदा लौंडिया भी ताड़ रहे थे
अचानक एक सज्जन कही से मेरे आगे आए
ठोकर लगने ही वाली थी कि वो जोर से चिल्लाए
बड़े बेवकूफ आदमी हो तुमको दिखाई नहीं देता
इस बूढ़े व्यक्ति का भारी आवाज सुनाई नही देता
तब तक आस पास के कुछ लौंडो आकर घेर लिया
क्या हुआ अंकल कह उनको अपनी गेल लिया
उनकी शह पाकर वो अंकल जी थोड़ा फूल गए
गलती तो उनकी ही थी पर मेरे  पल्ले झूल गए
दूध के दांत भी नही टूटे पर लड़की ताड़े जा रहे हो
बाइक चलाने का ढंग नहीं है फिर क्यों चला रहे हो
एक तो मुझे ठोक दिया ऊपर से आंख दिखा रहे हो
तमीज भी नही है क्या जो मुझे यूं घूरे जा रहे हो
उनके तीखे शब्द सुन उन लौंडो का दिमाग घूम गया
उनकी आंखों में मेरे शरीर का हर एक अंग जूम गया
मैने स्थिती को भापा और अपने स्वर को ढीला किया
संबोधन लगा बोला हे अंकल प्रभु ने कोई लीला किया
गलती मेरी ही थी मैंने आपको मोड़ से आते नही देखा
सम्मान सूचक कुछ और बातों को उनकी ओर फेंका
फिर जैसे तैसे उन अंकल को मै शीशे में उतार पाया
उन लौड़ों की पड़ने वाली मार से खुद को बचा लाया
बाद उसके कसम खाइ बाइक चलाते लड़की नही ताडूंगा
गर कोई मेरी तरह फसा मिला तो भीड़ का हिस्सा बन उसे नही मारूंगा
आज से हर औरत के मुख से ज्यादा उनके चरणों में मेरा ध्यान होगा
अपनी मां बहन बेटी सा उनके प्रति भी मेरा भान होगा
नारी का स्थान सर्वोपरि है उसकी एक अलग पहचान हैं
नारियों का सम्मान हैं तो ही समाज में हमारा सम्मान हैं
#अंकुर तिवारी 'अंजान'

©Ankur tiwari एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे
संयोग यह था कि यदा कदा लौंडिया भी ताड़ रहे थे
अचानक एक सज्जन कही से मेरे आगे आए
ठोकर लगने ही वाली थी कि वो जोर से चिल्लाए
बड़े बेवकूफ आदमी हो तुमको दिखाई नहीं देता
इस बूढ़े व्यक्ति का भारी आवाज सुनाई नही देता
तब तक आस पास के कुछ लौंडो आकर घेर लिया
क्या हुआ अंकल कह उनको अपनी गेल लिया
ankur2158551459298

Ankur tiwari

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एक रोज हम अपनी बाइक से मस्ती में जा रहे थे संयोग यह था कि यदा कदा लौंडिया भी ताड़ रहे थे अचानक एक सज्जन कही से मेरे आगे आए ठोकर लगने ही वाली थी कि वो जोर से चिल्लाए बड़े बेवकूफ आदमी हो तुमको दिखाई नहीं देता इस बूढ़े व्यक्ति का भारी आवाज सुनाई नही देता तब तक आस पास के कुछ लौंडो आकर घेर लिया क्या हुआ अंकल कह उनको अपनी गेल लिया #कविता #selflove #अंकुर