अजनबी से कब अपना बनाया! मन मंदिर में बस तू ही समाया! छोड़ कर दुनिया सारी, मुझे अपनाया! आकर मेरी ज़िंदगी में इसने मुझसे ही रूबरू कराया! बाहों का हार देकर अपने परदेस है लाया! चलो आज मैं भी कहती हूँ तुम पर ही दिल आया मेरे परदेसिया! [Routine Collab Challenge - ३] सभी लेखकों से अनुरोध है, कि इस क्योट पर कोलैब करने के बाद हाईलाइट भी करें, ताकि और लोग भी इसका लाभ उठा सकें🙏🙏 “अपनी ज़बान” समूह में आप सभी लेखकों का स्वागत है हमारे द्वारा दिए गए इस प्यारे से शीर्षक और चित्र पर अपने विचार प्रकट करें |