मैं समझता हूँ की हर बात नहीं भुलाई जा सकती हैं बस वहम कर लीजिये ये कहना कि तुम बदल चूके हो ये भी तो वही बात हैं ना आख़िर कौन बदलता हैं इस जहां में ? सिवाए जिस्म के ये कहना कि मैं आगे बढ़ चुका हूँ असल में एक वहम हैं जिसकी घुट्टी हम अक्सर पिया करते हैं उसे पी कर खुद को सुलाये रखते हैं और दूसरों की बातों को हवा में उड़ाया करते हैं वाकई ये कायनात एक वहम हैं और हम हैं भी या नहीं? तुम्हें कुछ असल मिले तो मुझे बताना मेरा पता लिख लो आसानी रहेंगी आँखों के पीछे अंधेरे से आगे सूरज से ठीक ऊपर शाहरग से सीधा आगे बस मैं वहाँ मिलूंगा तुम्हें तुम आना ज़रूर वहमों से पर चलेंगे तो चलोगे? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma मैं समझता हूँ की हर बात नहीं भुलाई जा सकती हैं बस वहम कर लीजिये ये कहना कि तुम बदल चूके हो