मरकर भी मुझे दफनाया न गया ज़िन्दा था तो अपनाया न गया। ये दुनिया अक्सर ही रुलाती रही मुझे मुझसे कभी किसी को रुलाया न गया। हुआ कभी गम किसी बात का तो रो लिया अकेला बैठ कर लिख कर ही बताई अपनी बर्बादी की कहानी यूँ जुबां से अपना किस्सा हमसे सुनाया न गया। जाने किस तरह वो इतनी आसानी से हमसे अपना हाँथ छुड़ा गए। और हमसे आज तक भी उनकी यादों से पीछा छुड़ाया न गया। #Kuch_galtiyan Diwan G