Nojoto: Largest Storytelling Platform

अंत नहीं ,अनन्त हूं मैं लय नहीं, प्रलय हूं मैं मुझ

अंत नहीं ,अनन्त हूं मैं
लय नहीं, प्रलय हूं मैं
मुझमें समाती अनेक नदियां, क्योंकि मैं विशाल हूं
आज नहीं,मै कल हूं।
रात नहीं,मै दिन हूं 
मुझमें रहते मगर,मछली ,क्योंकि मै जलधार हूं।
जल नहीं, अमृत हूं मैं
मीठा नहीं, खारा हूं मैं।
मुझमें बनते मुक्ता, मोती,क्योंकि मैं कलाकार हूं
- समीर #जलाधि
अंत नहीं ,अनन्त हूं मैं
लय नहीं, प्रलय हूं मैं
मुझमें समाती अनेक नदियां, क्योंकि मैं विशाल हूं
आज नहीं,मै कल हूं।
रात नहीं,मै दिन हूं 
मुझमें रहते मगर,मछली ,क्योंकि मै जलधार हूं।
जल नहीं, अमृत हूं मैं
मीठा नहीं, खारा हूं मैं।
मुझमें बनते मुक्ता, मोती,क्योंकि मैं कलाकार हूं
- समीर #जलाधि