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जो आया है , उसे जाना है। यही दस्तूरे-ज़माना

जो आया है , उसे जाना  है।
यही   दस्तूरे-ज़माना    है ।

 कभी एकसा नहीं रहता,
वक़्त का यही फसाना है।

जाने वाले , कभी नहीं आते ,
अंजलो-आबोदाना है ।

ख़ुदग़र्ज़ ज़माना  है,
हमने तो यही जाना है।

होंसला  रहे कायम ,
नए साल मे जाना है।

ज़माने का क्या "फिराक़",
ज़माना तो दीवाना है। नमस्कार लेखकों🌸 

आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियअलविदा। 

अक्सर अलविदा कहना, फिर मिलने की झूठी आस देने से बेहतर होता है। शायद झूठे रिश्तों को बिखरते देखने से ज़्यादा एक बार में तोड़ देना ही बेहतर होता है।

Collab करें हमारे इस खास पोस्ट पर और अपने विचार प्रकट करें।
जो आया है , उसे जाना  है।
यही   दस्तूरे-ज़माना    है ।

 कभी एकसा नहीं रहता,
वक़्त का यही फसाना है।

जाने वाले , कभी नहीं आते ,
अंजलो-आबोदाना है ।

ख़ुदग़र्ज़ ज़माना  है,
हमने तो यही जाना है।

होंसला  रहे कायम ,
नए साल मे जाना है।

ज़माने का क्या "फिराक़",
ज़माना तो दीवाना है। नमस्कार लेखकों🌸 

आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियअलविदा। 

अक्सर अलविदा कहना, फिर मिलने की झूठी आस देने से बेहतर होता है। शायद झूठे रिश्तों को बिखरते देखने से ज़्यादा एक बार में तोड़ देना ही बेहतर होता है।

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