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इश्क़ दा तोहफा वो लम्हे कितने नाजुक थे,वो घड़ियां क

इश्क़ दा तोहफा वो लम्हे कितने नाजुक थे,वो घड़ियां कितनी प्यारी थीं
इश्क़ दा तोहफा पाकर मैं ख्वाबों का महल
सजायी थी
तेरे सपनों मे खोयी सी,कही दुर तन्हाई में
बैठी आगोश पराई में
चाहा तो बहुत बहुत पर पा न सकी।
यादों की समन्दर में डुबे,मन बेकल है
तन बोझिल है
ख़ामोश वफाएं जलती है, सांसों में चिताएं जलती है
वो लम्हे क्या फिर याद करे,टुटे ख्वाबों की
बात करे
इश्क दा तोहफ़ा पाकर भी, ख्वाबों कामहल
न सज पायी।

©Sadhana .(teacher) #dilkibaat  komal sindhe Shuresh Thapa Abdullah Rifat ram singh yadav Aditya Divya Amiya
इश्क़ दा तोहफा वो लम्हे कितने नाजुक थे,वो घड़ियां कितनी प्यारी थीं
इश्क़ दा तोहफा पाकर मैं ख्वाबों का महल
सजायी थी
तेरे सपनों मे खोयी सी,कही दुर तन्हाई में
बैठी आगोश पराई में
चाहा तो बहुत बहुत पर पा न सकी।
यादों की समन्दर में डुबे,मन बेकल है
तन बोझिल है
ख़ामोश वफाएं जलती है, सांसों में चिताएं जलती है
वो लम्हे क्या फिर याद करे,टुटे ख्वाबों की
बात करे
इश्क दा तोहफ़ा पाकर भी, ख्वाबों कामहल
न सज पायी।

©Sadhana .(teacher) #dilkibaat  komal sindhe Shuresh Thapa Abdullah Rifat ram singh yadav Aditya Divya Amiya