अश्क़ नहीं वो ख़्वाब है आँखों में महका हुआ कोई गुलाब है आँखों में ज़र्रा-ज़र्रा नूर की बारिश है एक क़तरा माहताब है आँखों में प्यार के फलसफे, प्यार की बातें प्यार की खुली किताब है आँखों में रूह हो जैसे प्यास की एक शमाँ प्यासी-प्यासी-सी आब है आँखों मे। ©Atul Parashari अश्क़ नहीं वो ख़्वाब है आँखों में महका हुआ कोई गुलाब है आँखों में ज़र्रा-ज़र्रा नूर की बारिश है एक क़तरा माहताब है आँखों में प्यार के फलसफे, प्यार की बातें प्यार की खुली किताब है आँखों में रूह हो जैसे प्यास की एक शमाँ प्यासी-प्यासी-सी आब है