अब कुछ कर बहुत रो लिया तू, बहुत सो लिया तू, चिंताओं में बहुत खो लिया तू; अब जागना हो तो मत डर, अब कुछ कर,अब कुछ कर। दुविधाग्रस्त मन है, थका हुआ तन है, फिर भी शेष नहीं हुआ अभी तक यह रण है; अब जीतना हो तो लड़, अब कुछ कर,अब कुछ कर। चुनौतियां अल्प नहीं, मन में संकल्प नहीं, परन्तु हारना भी विकल्प नहीं; अब जीना हो तो चल उठकर, अब कुछ कर,अब कुछ कर। - Rohit Kumar Mukherjee MBA,1st Year, Section-A #Hope