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“मेरे गोपाल! अब से मेरा यही काम, तुमको पूजूँ, सुबह

“मेरे गोपाल!
अब से मेरा यही काम,
तुमको पूजूँ, सुबह-शाम।

स्नान कराऊँ, वस्त्र पहनाऊँ,
रंग-बिरंगे मुकुट सजाऊँ।
केसर ढूंढू, कपूर मिलाऊँ,
घिस-घिस चन्दन तिलक लगाऊँ।

गालियाँ घूमूँ, बगीचे जाऊँ,
चुन-चुन पुष्प, पूजन को लाऊँ।

पुष्प चढ़ाऊँ, भोग लगाऊँ,
धूप लगाऊँ, दीप जलाऊँ,
स्तुति गाकर तुम्हें रिझाऊँ।

परिजन के सानंद हेतु,
श्रीकुञ्ज बिहारी की आरती गाऊँ।”

- प्रेम

©Surendra Sharma
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