मन चंचल .. सोचता है इधर उधर की बातें ; अपनी ही सोच से खुद को डराता है , आज़ में रहकर कल की यादें दिलाता है , आज़ को भूलकर, कल के सुनहरे सपने दिखाता है !! मन चंचल .. एक पल खुद से ख़ुद को परिचय कराता है , दूसरे पल ही बेगाना हो जाता है, काल्पनिक विचारों को गाहे बेगाहे ले आता है , और कभी जीवन की प्रमाणिक सच्चाइयाँ बताता है ।। मन चंचल .. मन में चलती विविधताएँ जहाँ जीवन का रूप है , मन की सुंदरता वहीं मानवता का अद्भुत स्वरूप है , मन की चंचलता जहाँ मानवीय भाव का स्तंभ है , मन का नियंत्रण वहीं अद्भुत जीवन का आरम्भ है ।। चंचल मन