ईट, पत्थर, सीमेंट, मौरंग व बालू से जोड़कर इमारतें बनाई जाती है। हमने प्यार के तिनके-तिनके को जोड़कर एक आशियाना बनाया है। कर्म और लगन की सीमेंट में प्यार मिलाकर दीवार मजबूत बनाई है। ख्वाहिशों की सुंदर चार दीवारों पर उम्मीदों की मजबूत छत बनाई है। छत पर खुशियों के रंगीन झुमरों की सुरीली घंटियों को लटकाया है। गमों को बाहर रखकर खुशियों की भीनी-भीनी खुशबू से महकाया है। अपने प्यार के खूबसूरत एहसासों के रंगीन फूलों से उसको सजाया है। ईर्ष्या से परे प्रेम के सागर से भरे रिश्तों के मोतियों की माला पिरोई है। अनेकता में एकता की तर्ज पर प्यार का एक छोटा सा संसार बसाया है। त्याग, समर्पण और विश्वास की डोर से बंधा ऐसा एक परिवार बनाया है। सुख-दु:ख में सदा साथ रहेंगे हर गम मिलकर सहेंगे ऐसा ऐतबार जगाया है। आती रहे खुशियों की बौछारें सदा ही ऐसे झरोखे और रोशनदान बनाया है। खुद की नजर से बचाने के लिए नजर उतार कर काला धागा बंधवाया हैं। लग न जाए जमाने की नजर इसलिए द्वारे पर नींबू मिर्ची भी लटकाया है। -"Ek Soch" #आशियाना_team_alfaz #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *आशियाना*