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कभी तो मेरे इश्क को पागलपन ही समझ कर कर लेते तो आ

कभी तो मेरे इश्क को
पागलपन ही समझ कर कर लेते 
तो आज मंज़र ही कुछ और होता
यू आज मैं एक शायर 
और तेरा जिक्र मेरी हर शायरी मे न होता। #शायर की शायरी।
कभी तो मेरे इश्क को
पागलपन ही समझ कर कर लेते 
तो आज मंज़र ही कुछ और होता
यू आज मैं एक शायर 
और तेरा जिक्र मेरी हर शायरी मे न होता। #शायर की शायरी।

#शायर की शायरी।