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वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात ऐ इंसान, गुनाह

वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात 

ऐ इंसान,

 गुनाहों की दौलत से बहुत मालामाल है तू,
___________________________

मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात ऐ इंसान,
.
 गुनाहों की दौलत से बहुत मालामाल है तू,
वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात 

ऐ इंसान,

 गुनाहों की दौलत से बहुत मालामाल है तू,
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मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात ऐ इंसान,
.
 गुनाहों की दौलत से बहुत मालामाल है तू,

वाजिब है तुझ पर आंसुओं की ज़कात ऐ इंसान, . गुनाहों की दौलत से बहुत मालामाल है तू,