एक तेरे इश्क़ के सिवा कुछ और नहीं मेरे पास है कुछ ख्वाहिशें सीने में दफ़न हैं कुछ पल उन्हें भी दिया करो हँसते रहे तुम हर दफ़ा शिकवा कभी किया नहीं हर बार मन मसोस लिया कभी किसी से कुछ कहा नहीं साँसे खर्च हो रहीं पाबंद ज़िदंगी का हिसाब है वक्त बहुत कम है कोरी सपनों की अभी किताब है एक जनम काफ़ी नही हर जनम में तुम मिला करो मैं तुम्हारा कर्ज़दार हूं इस कर्ज़ से मुझे रिहा करो... © abhishek trehan ♥️ Challenge-692 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।