तब नहीं समझी थी, पापा क्यों रात में जल्दी आ जाते थे नहीं समझी थी, माँ क्यों सबके लिए खिचड़ी ही बनाती थी नहीं छोड़ा था माँ बाबा ने बिस्तर का सिहराना सारी रात नहीं छोड़ा था भाई ने एक पल को भी मेरा हाथ तपती रात में तड़पती तपती देह की फ़िक्र जगाये रहती थी सारी रात फ़िक्र जारी रहती थी सारी रात! ©Swechha S माथा गरम है सुबह से मेरा, रख दे हथेली न माँ... #18May #Ghar