अब तो काला बाजारी में बेरोजगार भी फंसाये जा रहें हैं, और गरीबों को मिलने वाले पैसों से अपने ही खाते भराये जा रहें हैं! किसे दोष दें, ईमानदार लोग ही भ्रष्टाचार के बीज बोये जा रहें हैं, अब तो इस संसार में अहंकारी ही शिष्टाचार के पाठ पढ़ाये जा रहे हैं! कौन इन्हें ललकार के दुश्मनी मोल लेने जा रहें हैं, अब तो आदमी ही आदमी को ख़त्म किए जा रहे हैं! अब व्यवहार की बात ना ही करो, इंसान ही इसे बेचे जा रहे हैं! और कैसा वक्त आ गया हैं, अपने ही अपनो से लड़ के जिये जा रहें हैं! सूरी✍️ दुनिया काला बाजार हैं!🤒 सूरी✍️