परवाने होते हैं, वहीं शमा जलती है। जब से तुमने हम से , हमे चुराया है , सुक़ूने-रूह , मिलने को मचलती है। हर पल तिरा , इन्तज़ार रहता है, हर शै मे तिरी, हुश्नग़ी झलकती है। तिरे ख़याल मे, हम सदा खोये रहते हैं, तिरी तलाश मे, हर निग़ाह भटकती है। राहे-उल्फत मे , हम चाहे जले "फिराक़", रहगुज़र उनकी, रोशनी से चमकती है। — % & जाने क्या बात हुई है ऐसी, मुझको मेरी कमी खलती है... #मेरीकमी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi