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रिश्तों में- आ जाता है जब खालीपन, खड़ी होती है अका

रिश्तों में-
आ जाता है जब
खालीपन,

खड़ी होती है अकारण ही 
सन्देह की दीवारें,

आदमी फंस जाता है जब 
किसी भरमजाल में

कमज़ोर होने लगती है 
विश्वास की डोर-

ऐसे में अक्सर ही टूट जाते है 
सम्बंध आपस के,

और जमीन पर बनती है खाई
खींचती है जो दूरियों की लकीरें!!
(मोहम्मद मुमताज़ हसन) #विश्वास की डोर #कविता
रिश्तों में-
आ जाता है जब
खालीपन,

खड़ी होती है अकारण ही 
सन्देह की दीवारें,

आदमी फंस जाता है जब 
किसी भरमजाल में

कमज़ोर होने लगती है 
विश्वास की डोर-

ऐसे में अक्सर ही टूट जाते है 
सम्बंध आपस के,

और जमीन पर बनती है खाई
खींचती है जो दूरियों की लकीरें!!
(मोहम्मद मुमताज़ हसन) #विश्वास की डोर #कविता

विश्वास की डोर कविता