जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से
अंत कृतज्ञता, आभार से
जो न जाने वो भी समझ जाए
भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए
यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे
तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे
मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ
माटी में पुलकित धान जहाँ #भारत#आर्यावर्त#भारतीय_संस्कृति#भारतीय_गौरव#वसुधैवकुटुम्बकम्