वो "आर्यावर्त" क्यों न महान कहलाए ? (Read in Caption) जहाँ बात शुरू हो नमस्कार से अंत कृतज्ञता, आभार से जो न जाने वो भी समझ जाए भिन्न-भिन्न भाषा जो मन को भाए यूँ सरस प्रेम का जो भाव रहे तो क्यों न खुशनुमा हर प्राण रहे मिले तरुण, सुगंधित पुष्प जहाँ माटी में पुलकित धान जहाँ