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मैं सार्वजनिक एक जंक्शन सी तुम रेल की भांति आते हो

मैं सार्वजनिक एक जंक्शन सी
तुम रेल की भांति आते हो
तुम्हारा क्या तुम तो चले गए
पर मुझे कंपित कर जाते हो

लबालब छलकता दर्द का गागर
तुम सुकून से मुस्काते हो
यात्री ..यात्रा ..यातनाएं
हर बार वही दोहराते हो...!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #सार्वजनिक जंक्शन