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नाकामियाँ तोड़ती है मुझे , मैं हौंसला परवान रख

नाकामियाँ  तोड़ती  है मुझे ,  मैं हौंसला  परवान रखती हूंँ,
घायल जिस्म और जान,होठों पे हल्की सी मुस्कान रखती हूंँ।

जुबां पर है शिकायते बहुत, ख़ामोशियों को ओढ़े रहती हूँ,
होठों के बंद तालों की चाबी गुम है, सब से यही कहती हूंँ।

उम्र  -दर- उम्र  ठोकरों से ,  निखरती  गई  शख्सियत मेरी,
अपनी गलतियों को भी अब तो अपना शिक्षक मानती हूँ। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 157 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
नाकामियाँ  तोड़ती  है मुझे ,  मैं हौंसला  परवान रखती हूंँ,
घायल जिस्म और जान,होठों पे हल्की सी मुस्कान रखती हूंँ।

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होठों के बंद तालों की चाबी गुम है, सब से यही कहती हूंँ।

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mrsrosysumbriade8729

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