पिछले 5 साल से बस इसी तरह मेरा हर दिन कट जाया करता, मैं सुबह 10 बजे अपने काम पर निकलता और 5 बजे वापस आ जाता, आज भी ये शहर मुझे अपना सा ना लगा था, मैं रोज रात सोने से पहले बस एक ही बात सोचता, क्यों मैं धीरे धीरे खुद को खोता जा रहा हु, क्यो में एक अच्छे इंसान से अच्छी मसीन बनता जा रहा हूँ, और फिर वही सुबह 10 से 5 की जॉब पर निकल जाता, कुछ शोक थे जो छूटते जा रहे है, वक़्त के साथ साथ लिखना भी कम हो गया था, शायद इसलिए कि मैं खुद को लफ्जो में बयान करना भूलता जा रहा था, बस हमेशा एक ही मन करता कि भाग जाऊँ यहाँ से, इस 10 से 5 की जॉब से, इन बंदीशो से, मैं तो कभी ऐसा ना था, मैंने तो जिंदगी को खुद की तरह जीना चाहा था, तो क्यो मैं अब जिंदगी और वक़्त की जकड़ में आने लगा था, क्यो मैं खुद को खोता जा रहा था, और इन सब सवालो के जबाब बस एक ही जगह आकर रुक जाते थे, क्या मैं जो जो कर रहा हु, वो वही था जो मैं करना चाहता था, क्या मैं जहाँ जाना चाहता था, क्या मैं वहाँ पहुँच गया हूं, और जबाब मैं बस एक छोटी सी ना होती थी, मैं तो कभी ये 10 से 5 वाली जॉब नही चाहता था, मैंने तो हमेशा से ही जिंदगी अपने ढंग से जी थी, मैं तो चाहता था उस खुले आसमान की उचाईयो को छूना, तो इन सब सवालो से परेशान होकर, मैं इस कैद को तोड़ने जा रहा था, तो रात को सोते वक्त अपना लैपटॉप खोला, और अपना इस्तीफा टाइप किया और सुबह उठते ही बॉस को मेल कर दिया, मेरे एक तरफ मेरे सपने, और वो खुला आसमान था, तो दूसरी तरफ नाकामी और बस अंधेरा, नही पता था कहाँ से शुरुवात करूँगा, कैसे शुरुवात करूँगा, पर मैं अपनी जिंदगी जीने निकल पड़ा था, बस इतना जानता था जो भी लिखूंगा, जो भी करूँगा दिल से करूँगा, और नाकाम भी रहा तो मन मे ये तो रहेगा कि मैंने जो सपने देखे थे उनको पूरे करने की कोशिश तो की, मैंने किसी और कि तरह अपने सपने उस 10 से 5 की जॉब तले दबने नही दिए, हाँ मैं नाकाम रहा पर मैं अपनी जिंदगी जिया तो सही, और किसी ने कहा है कि अगर सपने देखते हो तो उनके पूरे करने की कोशिश करते रहो, अगर तुम बीच मे ही हार गए तो हो सकता है तुम्हारा सपना कोई और जी ले, और अक्सर कामयाबी देर से ही सही पर मिल ही जाती है, तो अपने सपनो के लिए पागल बनो। "गुस्ताख़ शायर" ©bitturohit #NojotoQuote