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मेरे मन से जिस्म का परदा हटाकर रुह का सुकून जगाया

मेरे मन से जिस्म का परदा हटाकर रुह का सुकून जगाया तूने,
मैं इक गवार था इस इश्क की पाठशाला मैं,
मोहब्बत का पाठ पढाया तूने,
ओर मैं तो दील,जान,धडकन, सब कूच वारता था तुम पर,
फिर नजाने क्यू मुझसे जुदा होकर,
मुझे झिंदा दफनाया तूने...

©PIYUSH SAWALDEKAR
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#ankahi