दिल के दरवाजे पर दस्तक देकर लौट गए हो… हमकों बीच राह में तन्हा तुम क्यों छोड़ गए हो… एक पल ठहर जाते तरसती रूह की खातिर… रुख मेरी ज़िंदगी का अंधकार में मोड़ गए हो… एक हसीं ख़्वाब आँखों का मक़्सूम था तेरे साथ… निकल गया मसरफ़ तुम्हारा तो दिल तोड़ गए हो… छल था प्रेम तुम्हारा और हर वचन जुबानी था… दर्द से उम्र भर का रिश्ता हमारा जोड़ गए हो… अश्क़ों को छुपाकर मुझे जीना है अपनो के लिए… जगाकर गहरी नींद से तुम आज झकझोर गए हो… हमारी दुनिया में न रही कोई जगह मोहब्बत की… जब से तुम हमेशा के लिए अलविदा बोल गए हो… ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1070 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।