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जैसे ही दरवाजा खुला,मेरी सांसें अटक गई। मैं ना ही

जैसे ही दरवाजा खुला,मेरी सांसें अटक गई। मैं ना ही कुछ सोच पाया और ना ही कुछ समझ पाया। किस्से कहानियों में पढ़ा था और फ़िल्मों में भी देखा था , कि अगर आधी रात को दरवाजा खुले तो सिवाय भूत प्रेत के कोई नहीं आता। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं और क्या ना करूं?
इतने में अचानक कहीं से छम छम की आवाज़ आनी शुरू हो गई। जैसे जैसे वोह आवाज़ मेरे करीब आती रही,यकीन मानो मेरी जान जाती रही,मेरी धड़कनें बढ़ती रही।
और फिर अचानक वोह छम छम आवाज़ वाला चहेरा मेरे सामने आया। मैं उस चेहरे को देख कर हक्का बक्का रह गया। बला की खूबसूरत ल़डकी मेरे सामने देख मुस्कुरा रही थी।कुछ देर ऐसे ही चलता रहा ,आखिर में जब उसने देखा कि मैंने कुछ कहा या मुस्कुराया ही नहीं,तो वह बस ज़ोर से हसी और वहां से चल दी। 
इस बात को काफी अरसा गुजर चुका है,मगर वह चेहरा और वह मुस्कुराहट आज भी मेरे जहन में ताज़ा है।आज भी मैं सोचता हूं कि वह क्या था??क्या वह मेरा खयाल था ,या फिर भरम? या फिर एक ऐसी हकीकत जिसको ना खुद मैं समझ पा रहा हूं और इतने वक्त के बाद भी किसको भी नहीं समझा पा रहा हूं।!!!

©Imran Shekhani (Yours Buddy) रात के 12 बजे मेरा दरवाजा खुला

रात के 12 बजे मेरा दरवाजा खुला

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