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ख्वाहिशों का गला घोंट के, मिलता ही क्या है, घर लौट

ख्वाहिशों का गला घोंट के,
मिलता ही क्या है, घर लौट के ।
खुद ही दरवाज़ा खोलना,
बंद करना पड़ता है ।।
जिन्दगी अपनी है मगर,
औरों के लिए मरना पड़ता है ।।
ये कैसा सौदा है,
जो हम खुद से किये जा रहे है ।
नाउम्मीदी ही सही,
लेकिन जीये जा रहे है ।।

चंद सिक्के अब हमारी जात बताते है ।
बड़ी गाड़ी और मकां, औकात बताते है ।।
एक माँ है जो फिक्रों में रहती है ।
छुट्टी लेकर घर आने को कहती है ।।
अपना हाल हम मुस्कुरा कर सीये जा रहे है ।
नाउम्मीदी ही सही, लेकिन जीये जा रहे है ।।
जीये जा रहे है ।।




 #yqbaba #yqhindi #yqdidi #गला #जीये #सीया
ख्वाहिशों का गला घोंट के,
मिलता ही क्या है, घर लौट के ।
खुद ही दरवाज़ा खोलना,
बंद करना पड़ता है ।।
जिन्दगी अपनी है मगर,
औरों के लिए मरना पड़ता है ।।
ये कैसा सौदा है,
जो हम खुद से किये जा रहे है ।
नाउम्मीदी ही सही,
लेकिन जीये जा रहे है ।।

चंद सिक्के अब हमारी जात बताते है ।
बड़ी गाड़ी और मकां, औकात बताते है ।।
एक माँ है जो फिक्रों में रहती है ।
छुट्टी लेकर घर आने को कहती है ।।
अपना हाल हम मुस्कुरा कर सीये जा रहे है ।
नाउम्मीदी ही सही, लेकिन जीये जा रहे है ।।
जीये जा रहे है ।।




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mayaankmodi8473

Mayaank Modi

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