~ ग़ज़ल ~ हमसे आया न गया उनसे बुलाया न गया फ़ासला मिलने में दोनों से मिटाया न गया मैं भी घर के रहा बाहर वो भी बाहर आए बातें वातें तो हुईं हाथ मिलाया न गया एक मुद्दत हुई हम उनसे न लग पाए गले बांहें फैलीं मगर बांहों में समाया न गया जब भी बाहर कभी रस्ते में मुलाक़ात हुई दूरी दो ग़ज़ की रही मास्क हटाया न गया मोजद-ए-विडियोकाॅलिंग का ख़ुदा करना भला बातें रु खोल हुईं चेहरा छुपाया न गया * मोजद - इजाद करने वाला * रु - चेहरा #ग़ज़ल #कोरोना_वायरस