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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है। 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

!i 107th Birth Anniversary !i दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है। 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

!i 107th Birth Anniversary !i
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है। 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

!i 107th Birth Anniversary !i दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है। 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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