समय के स्वरूप का उल्लेख कल आज कल के रूप में किया गया है जो बीत गया उसे अतीत जिस पल का इंसान उपयोग कर रहा है उसे वर्तमान और आने वाले समय को भविष्य कहा जाता है विचारों को ने समय की तुलना धन से की है जो समय बीत गया उसका अनुभव का लाभ तो लेना चाहिए लेकिन उस पर पश्चाताप नहीं करना चाहिए कि समय निर्धारित गया इससे सिर्फ गली नहीं हाथ लगती है यदि अतीत के दिनों में किसी स्तर पर न समझी हो गई हो तो उसे सुधारने कर आने वाले समय को बेहतर बनाने के लिए योजना बनानी चाहिए समय बहुत बलवान माना गया है शारीरिक स्तर पर देखा जाए तो नवजात शिशु बहुत कोमल और सुंदर लगता है सीन सीन वह बड़ा होता है कोमलता कम होती जाती है एक समय आता है कि वह शरीर जिगर हो जाता है चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं जहां समय इस तरह के सौंदर्य को आहा बात करता है वही जैसे जैसे इंसान बड़ा होता है तो बदलने में बदलाव अनुभव का तोहफा देता है समय अपाहिज है तो वह दाता भी है बेशर्त उसके द्वारा दी गई विशेषताओं को पूंजी की तरह संभाल कर रखा जाए वर्तमान वैज्ञानिक युग में नूतन की आंधी चल रही है हर पल आने वाला समय नया ही होता है चाहे पल के रूप में हो दिन के रूप में हो या वर्ष के रूप में नया साल तो कैलेंडर की तारीख की देन है यह आता जाता रहेगा लेकिन मनुष्य को चाहिए कि वह हर पल कोई नया मान करो जवान रहे गीता में श्रीकृष्ण ने नए पद पर जोर देते हुए कहा है कि शरीर मनुष्य का पुराने कपड़ों को छोड़कर नहीं शरीर में प्रवेश करता है इसका असर यह है कि जो क्षण बीत गया उससे पुराना कपड़ा मान लिया जाए नहीं सोच तो नया कपड़ा समय को सार्थक ढंग से जीते हुए कोई भी व्यक्ति बहुत बड़ी छलांग लगा सकता है प्राकृतिक सबके साथ एक जैसा व्यवहार करती है व्यक्ति जब जागृत हो जाता है तो सामने उपलब्धियों का सूरत दिखाई पड़ने लगता है ©Ek villain # समय का महत्व #HappyNewYear