मेरे मन में भी कई ख्वाब पलता है पर ये मेरा मन है कौन समझता है। दुनिया लोगो से क्या मतलब मुझे अपने मुझे न समझे ये बात खलता है। ये ज़िन्दगी है जिस हाल में हो इसका काम है चलना ये अपना चलता है। कई ख्वाहिस अधूरी रह गई दिल मेरा आज भी मचलता है। गलतियों के घेरे में हर वक़्क्त फंसा रहता हूँ सोच सोच के मेरा माथा ठनकता है समुन्द्र सा शांत दिखता हूं मैं अक्सर भीतर पवन के वेग सा तूफान उठता है रौशन कर दु कुछ अंधेरे को मैं कोशिशों के बाती चिरागो सा जलता है। मेरे मन मे भी कई ख्वाब पलता है पर ये मेरा मन है कौन समझता है। मन के कलम से लिखा है कुछ अगर अच्छा लगे तो लाइक करें।