सूरज सा मैं चमकू,बादलो सा मैं बरसु, खुदकी उम्मीदों पर ए खुदा, मैं पहाड़ो सा मैं जम सकु।। हा देखा है मैंने औरो को, टुकड़ो पर पलते भवरों को, ना हो ऐसी हालत की, उनसा मैं अब बन सकु।। कभी गिरते को उठाऊंगा, कभी खुद मैं ही गिरजाऊँगा, तेरे दर पे ए मालिक मैं खुशी-खुशी बस आऊंगा।। तेरा अंबर तेरी धरती, तेरी ही तो सबपर चलती, अगर रहम करदे मुझपर तू, तेरा ही नाम कमाऊंगा।। कर ऐसा तू अनुकम्पा, मैं तेरा ही बन जाऊंगा।। #खुदा #ईश्वर #रहमत #inspirational #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #munasif_e_mirza