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बच्चों में मेरी जान बसती है। उसका एक मात्र कारण है कि ये समाज के थोपे हुये रीतिरिवाजों, धर्मों और नियमों से बेखबर बस अपनी ही लय में जीते हैं।
बच्चों को न किसी भगवान की जरूरत और न किसी धार्मिक नियम की।
इनका अपना ही एक नियम है, अपनी धुन में जीयो बस, भगवान को जरूरत होगी तो झक मरा कर आयेगा हमारे पास। बच्चों को नहीं डर लगता हमारे बनाये हुये भगवानों से। अच्छे खासे सैलीब्रिटी भगवान के पास बिठा दो, थोडी देर में भगवान बच्चे की गीली चड्डी बदलते नजर आयेगा। ये नहीं चूकते कहीं भी। पुजारी और्डर और्डर करता रहेगा और ये भगवान की खोपडी पर धार फैंकते नजर आयेगें। सुबह स्कूल में राष्ट्रीय गान या गीत के समय भी मेरी पहली कक्षा के बच्चे डांस करते नजर आते हैं। मेरा फेवरेट स्टूडेंट अनु अपने सामने वाले को किक मार कर ताली बजा रहा होता है।
इनसे अच्छा और सच्चा कोई नहीं।
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मुझसे पूछते हैं आप बच्चों को पढ़ाते हो या उन्हें बिगाड़ते हो !😊☘☘🍀🍀🌱🌱🍨☕☕🍨🐒
उन्हें कैसे बताऊं कि मैं तो खुद ही उनसे पढ़ने आता हूँ !