कुछ बातें अब भी अधूरी है, बोलना चाह कर भी अल्फ़ाज़ न ढूंढ पा रहे हैं। कुछ किस्से मुक़म्मल न हो रहे हैं, हर रक मुलाकात कुछ दास्तान जोड़ रहे हैं।। ©BINOदिनी #किस्से_दिल_की_किताब_के