जिनके कंधों पर होती घर की जिम्मेदारी.. समाज की खातिर जिनकी प्रथम भागीदारी.. चार लोगों के बीच निखरती समझदारी, उन्ही की रफ़्तार से चलती जीवन की गाड़ी.. पुरुष अपने कर्तव्य कहाँ नकारते हैं, पुरूष घर के रक्षक बन जाते हैं.. ©Chanchal's poetry #InternationalMensDay2024 १९ नवंबर