जब भी देखे तुझको सबसे अलग देखें हैं, मेरी इन आंखो ने ज़मीं पे फ़लक देखें हैं, तुझसे मिलने की आतुरता और ललक देखें हैं, पूरी होगी सिर्फ़ तुझसे मिलके ऐसी तलब देखें हैं, पन्नों को अपनी जिन्दगी के कभी सीधा कभी उलट देखें हैं, पन्ने जितने भी देखे सब में मैंने तुम्हारी झलक देखें है, देखने को तो, बस तेरी कुछ झलक देखें हैं, तब भी चश्मे के भीतर से तेरी पलक देखें हैं बतला दो मुझे कि मैंने ख़्वाब न कोई ग़लत देखें हैं, मिलके कर दो पूरी, ख़्वाब जो मैंने अब तलक देखें हैं। ©Lukesh Sahu #नोजोटो कविता#ख़्वाब#फलक#पलक#तलब#ललक