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लिखा हैं मैंने बचपन से जवानी तक हर किस्सा सुहाना

लिखा हैं मैंने बचपन से जवानी तक हर किस्सा
 सुहाना लगता हैं मुझे बचपन प्यारा लगता हैं

मेरे होने से परिवार की रोनक दुगुनी हो गईं
दादी की काजल की डिब्बियां खाली हो गईं

पिता का प्यार और ड़ाटं नज़र आती हैं उनके
बहाऔं से आसमान की उछाल याद आती हैं

जवानी में जिम्मेदारी नज़र आती हैं
बच्चों के बचपन में घरोंदे याद आतें हैं

वो पल बहुत अच्छे लगते हैं आज हमें
जब बच्चे खिलौनों से बातें करते हैं

ये बचपन का रंग बहुत गहरा हैं
माँ ने जब भी नहलाया चढ़ता ही गया

पिता ने जो सिखाया था जिन्दगी का
सलीका आज उस पर फ़कर आता हैं

©ummed Parihar next 2 part 
#childhood_memories
लिखा हैं मैंने बचपन से जवानी तक हर किस्सा
 सुहाना लगता हैं मुझे बचपन प्यारा लगता हैं

मेरे होने से परिवार की रोनक दुगुनी हो गईं
दादी की काजल की डिब्बियां खाली हो गईं

पिता का प्यार और ड़ाटं नज़र आती हैं उनके
बहाऔं से आसमान की उछाल याद आती हैं

जवानी में जिम्मेदारी नज़र आती हैं
बच्चों के बचपन में घरोंदे याद आतें हैं

वो पल बहुत अच्छे लगते हैं आज हमें
जब बच्चे खिलौनों से बातें करते हैं

ये बचपन का रंग बहुत गहरा हैं
माँ ने जब भी नहलाया चढ़ता ही गया

पिता ने जो सिखाया था जिन्दगी का
सलीका आज उस पर फ़कर आता हैं

©ummed Parihar next 2 part 
#childhood_memories