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वक्त की ना जाने कैसी हवा चली, डरती है पहले से हर म

वक्त की ना जाने कैसी हवा चली, डरती है पहले से हर मासूम कली,
क्यों है वहशीपन, ना पहले जैसी किलकारियां,क्यों डर है हर गली।

आया ऐसा वक्त हैवानियत संसार में खो गया है भोलापन,
तृणावर्त प्रवृत्ति का आभास हैं, सहमा-सहमा,ख़ामोश है बचपन।   
{आज का सुविचार}
"वक्त बहुत कुछ सिखा देता है"
**********************************************************************************************
कैप्शन ध्यानपूर्वक पढ़ें I

❄ केवल 4 पंक्तियों में रचना करें।
वक्त की ना जाने कैसी हवा चली, डरती है पहले से हर मासूम कली,
क्यों है वहशीपन, ना पहले जैसी किलकारियां,क्यों डर है हर गली।

आया ऐसा वक्त हैवानियत संसार में खो गया है भोलापन,
तृणावर्त प्रवृत्ति का आभास हैं, सहमा-सहमा,ख़ामोश है बचपन।   
{आज का सुविचार}
"वक्त बहुत कुछ सिखा देता है"
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mrsrosysumbriade8729

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