हां.... तुम मेरी ज़िन्दगी की खुली किताब हो, और मैं तुम्हारी खाली पन्ने, हां...कुछ और वक़्त लगेगा इन पन्नों की तन्हाई को समझने में हां.... वो वक़्त भी आएगा जब तुम खुद दोगे अपनी किताब मुझे पढ़ने को शब्दों का आदान प्रदान भी होगा सपने साझा भी होंगे और फिर, और फिर क्या नई मंजिल की ओर हम रुख करेंगे... Deepshikha ojha dwivedi #khulikitab #Books