में वो राधा बनना चाहती नंही जो रुक्मिणी के आँचल में खुद की इज्ज़त क्रिष्न को डाल आयी में वो सिया भी बनना नंही चाहती जो श्रीराम के श्री के लिए अपनी सर्वस्व अग्नि को समर्पित कर आयी बनना चाहती हुं में वो गौरी जो अपनी शंकर को पाने के लिए शह जनम की कठिन तप को साकार कर आयी गौरीशंकराय नमः