बस तवारीखें ही बदलेंगी ...मिजाज़ और सीरतें तो नही बस तवारीखें ही बदलेंगी ...मुहब्बत और नफरतें तो नही आफताब वैसे ही चमकेगा इसी फ़लक पर रोशन होगा माहेताब भी इसी फ़लक पर लूटा जाएगा इंसान वैसे ही फ़रेबियों से अस्मते भी लूटी जाएंगी नये तरीकों से न बदलेगा कुछ तो ये हंगामा कैसा और क्यूँ बदलेगा कुछ तो बस तरीका गलत कामों का और भी बेहतर हो जाएँगे जो बोलते हैं जो गूंगे हैं अब भी न सुनी जाएगी उनकी रिश्ते और भी पीछे छूट जाएँगे मौसम कुछ और बेईमान हो जाएँगे घुटन थोड़ी और बढ़ जाएगी हवा कुछ कम गीत गुनगुनाएगी बातें और कम होंगी और लोग चलते जाएँगे ज़िंदगी के इस सफर में नये लोग मिलते जाएँगे न मायूस हो ऐ दोस्त बस कुछ है जो न बदलेगा कभी रिश्ता जो तेरे मेरे दरम्यान है वो न बदलेगा कभी बस तवारीखें ही बदलेंगी ...मिजाज़ और सीरतें तो नही बस तवारीखें ही बदलेंगी ...मुहब्बत और नफरतें तो नही धीर तवारीख़